यह नवरात्री पर एक बहुत ही शुभ संयोग बना रहा है। हाथी प्रतीक है - ज्ञान व् समृद्धि का। हाथी पर सवार माँ सुख, समृद्धि और ज्ञान की वर्षा साथ लायेंगी।
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माँ दुर्गा की सवारी उनके धरती पर आगमन के दिवस पर निर्भर करती है।वैसे तो माँ सिंह सवारी करती हैं पर तभी जब वे युद्ध रत होती हैं पर उनकी सवारी/वाहन नवरात्रि में भक्तों के पास आने के लिए बदल जाती है।
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ज्योतिष अनुसार किस आधार पर तय होता है वाहन?
देवी का आगमन किस वाहन पर हो रहा है, यह सप्ताह के दिवस / वार के आधार पर तय होता है।
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आइये जाने माता रानी के अलग-अलग वाहन और उनके शुभ-अशुभ संकेतों के बारे में -
माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार सालभर होने वाली घटनाओं का भी अनुमान किया जाता है। इनमें कुछ वाहन शुभ फल देने वाले और कुछ अशुभ फल देने वाले होते हैं।
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मां दुर्गा के आगमन का दिवस , उनकी सवारी और महत्व
शारदीय नवरात्रि इस बार सोमवार २६ सितम्बर २०२२ को शुरू हो रहे हैं। ज्योतिष मान्यता के अनुसार जब भी नवरात्रि की शुरुआत रविवार या सोमवार से होती है, तब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं।
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वाहनों का क्या होता है शुभ-अशुभ असर?
मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा अपने साथ ढेर सारी खुशियां और सुख-समृद्धि लेकर आती हैं।
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वाहनों का क्या होता है शुभ-अशुभ असर?
सप्ताह के वार के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा के वाहन हाथी, घोड़ा, नाव, डोली, भैंसा, व मनुष्य होते हैं।
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कौन-कौन से हैं मां दुर्गा के वाहन
ज्योतिष मान्यता के अनुसार, यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू हो रही है तो मां का वाहन होता है - हाथी - जो अधिक वर्षा के संकेत देता है।
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वार के अनुसार माता की सवारी और उनके महत्व
यदि नवरात्रि मंगलवार और शनिवार शुरू होती है, तो मां का वाहन होता है - घोड़ा - जो सत्ता में परिवर्तन का संकेत देता है।
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वार के अनुसार माता की सवारी और उनके महत्व
वहीं अगर बुधवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होती है, तो मां का वाहन होता है - नाव इस पर सवार मान अपने भक्तों के सारे कष्टों का निवारण करती हैं।
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वार के अनुसार माता की सवारी और उनके महत्व
सप्ताह के वार गुरुवार या शुक्रवार से नवरात्री शुरू होने पर मां दुर्गा बैठकर आती हैं - डोली में - जो तांडव, रक्तपात, जन-धन हानि का संकेत बताता है।
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वार के अनुसार माता की सवारी और उनके महत्व
रविवार और सोमवार को यदि नवरात्रि का समापन हो रहा है, तो मां दुर्गा का वाहन होता है - भैंसा - इसका मतलब होता है कि देश में दुःख और रोग बढ़ेंगे।
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मां दुर्गा के नवरात्री के बाद प्रस्थान की सवारी और उनका महत्व:
शनिवार और मंगलवार को समाप्त होने वाली नवरात्रि हो तो मां दुर्गा मुर्गे पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं। मुर्गे की सवारी दुख और कष्ट वृद्धि का कारक होता है।
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मां दुर्गा के नवरात्री के बाद प्रस्थान की सवारी और उनका महत्व:
यदि नवरात्रि का समापन बुधवार और शुक्रवार को हो, तो मां का प्रस्थान हाथी पर होता है, जो अधिक वर्षा को ओर संकेत करता है।
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मां दुर्गा के नवरात्री के बाद प्रस्थान की सवारी और उनका महत्व:
वहीँ यदि गुरुवार को नवरात्रि का समापन हो रहा है, तो मां दुर्गा मनुष्य के ऊपर सवार होकर प्रस्थान करती हैं। यह आर्थिक समृद्धि , सुख और शांति की ओर इशारा करता है।
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मां दुर्गा के नवरात्री के बाद प्रस्थान की सवारी और उनका महत्व:
नवरात्री के दौरान पूरे मन व् श्रद्धा से मां दुर्गा की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन के सारे कष्ट, दारिद्रय दूर हो जाते हैं।
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नवरात्रि के दौरान कुछ उपायों को करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती.
घर में मौजूद नकारात्मकता को दूर करने के लिए नवरात्रि के प्रथम दिन सुबह-सुबह घर के मख्य द्वार पर आम या अशोक के पत्तों का बंदनवार जरुर लगायें।
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नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक रोजाना घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ सिंदूर या हल्दी से स्वास्तिक का चिह्न बनाएं।
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रंगोली से या मार्किट में बने-बनाये मिलने वाले मां दुर्गा के कदमों के निशान वाले स्टीकर घर के अंदर की तरफ जाते हुए लगाएं।
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आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए नवरात्री में माँ लक्षी को जरुर प्रसन्न करें। माँ लक्ष्मी के मंदिर में एक लाल कपड़े में थोड़ा सा केसर, हल्दी और चावल को बांधकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें और थोड़े से चावल लेकर अपने घर ले आयें। इन चावलों को उस जगह पर रख दें जहां पर आपका धन रखा रहता है।
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एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें गुलाब की पत्तियां और इत्र डालकर घर के मुख्य द्वार पर रखें। इससे घर में माता लक्ष्मी का प्रवेश होता है और नकारात्मकता भी दूर होती है।
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घर में तुलसी का पौधा नहीं है तो नवरात्रि के किसी भी दिन में घर में तुलसी का पौधा लगाएं। उत्तर पूर्व दिशा में प्रस्थापित तुलसी जी से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।